Saturday, September 18, 2010

कब तक यूं ही बर्बाद होते रहेंगे

कब तक हम यूँ ही बर्बाद होते रहेंगे
दिल में रह रह के मलाल होते रहेंगे।
न सूखेगा समंदर का पानीतो कभी
दरियाही बस सारे ख़ाक होते रहेंगे।
शोर तनहाइयों पर हँसता ही रहेगा
बिछुड़े रिश्तों के मलाल होते रहेंगे।
जख्मो से महक तो उडती ही रहेगी
हादसे भी सुबह और शाम होते रहेंगे।
सहमा सा पेड़ खड़ा क्या देख रहा है
सदा ऐसे भी ही सवाल होते रहेंगे।

No comments:

Post a Comment