Wednesday, September 15, 2010

सूखी शाख पर हरे पत्ते नहीं मिलते

सूखी शाख पर हरे पत्ते नहीं मिलते
टुटा दिल बहलने के रस्ते नहीं मिलते।
वह जिनसे रूह को ठंडक मिलती थी
दिल में पलते वह रिश्ते नहीं मिलते।
नकली फूलों का चलन इतना बढ़ गया
असली फूलों के गुलदस्ते नहीं मिलते।
खुशियाँ सिमटके रह गई चंद पलों में
इन्सान हर वक़्त हँसते नहीं मिलते।
गुजरना न इस डगर से काफिले लेकर
इस सरहद से आगे रस्ते नहीं मिलते।

2 comments:

  1. नकली फूलों का चलन इतना बढ़ गया
    असली फूलों के गुलदस्ते नहीं मिलते।

    -बहुत उम्दा!

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  2. नकली फूलों का चलन इतना बढ़ गया
    असली फूलों के गुलदस्ते नहीं मिलते।
    लाजवाब!!! सच ही कहा है

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