चेहरा उसका चाँद का ज़वाब है
चाँद को चूमता हुआ गुलाब है !
चाँद ने अपनी रोशनी से लिखी
बेपनाह हुस्न की वह किताब है !
देखने से भी रंग वो शरमाने लगे
सादगी उसमे इतनी बेहिसाब है !
सुर्ख़ रुख़सार पर सियाह ज़ुल्फ़ें
चेहरे पर कोई जादुई नक़ाब है !
ख़्वाहिशों का भी रुख़ बदल दे
हर अंदाज़ उसका लाज़वाब है !
दिल की बेचारगी का क्या करें
दिल चुरा ले वह तो वो शबाब है !
आंखे है कि भूलती ही नहीं उसे
देखने को वह अकेला ख़्वाब है !
शरबती आंखों में वह सुर्ख डोरे
नशा न उतरे कभी ऐसी शराब है !
------सत्येंद्र गुप्ता
चाँद को चूमता हुआ गुलाब है !
चाँद ने अपनी रोशनी से लिखी
बेपनाह हुस्न की वह किताब है !
देखने से भी रंग वो शरमाने लगे
सादगी उसमे इतनी बेहिसाब है !
सुर्ख़ रुख़सार पर सियाह ज़ुल्फ़ें
चेहरे पर कोई जादुई नक़ाब है !
ख़्वाहिशों का भी रुख़ बदल दे
हर अंदाज़ उसका लाज़वाब है !
दिल की बेचारगी का क्या करें
दिल चुरा ले वह तो वो शबाब है !
आंखे है कि भूलती ही नहीं उसे
देखने को वह अकेला ख़्वाब है !
शरबती आंखों में वह सुर्ख डोरे
नशा न उतरे कभी ऐसी शराब है !
------सत्येंद्र गुप्ता
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