भारत माँ तेरी सुंदरता का सानी नहीं कोई मिलता
तेरे मस्तक पर सजा ताज़ कहीं और नहीं माँ सजता !
प्रातः सूरज की लालिमा में रूप तेरा ही दमकता
चाँद भी अपनी धवल किरणों से सिंगार तेरा करता !
गंगा यमुना की धारा से तन मन पुलकित रहता है
श्रद्धा ,ममता ,त्याग ,शांति से है तेरा वैभव सजता !
दक्षिण में सागर की लहरें हैं चरण तेरे ही धोती
उत्तर में गिरिराज हिमालय तेरी ही रक्षा करता !
तेरे आँगन में ही जन्मे थे सूर, कबीर और तुलसी
उनकी संस्कृत्यों का उजाला तुझे सुशोभित करता !
रक्षा बंधन ,ईद ,दिवाली ,बैसाखी ,होली ,क्रिसमस
बसंत अंक में लिए मधुमास , तुझे सुवासित करता !
गाँधी ,बोस ,भगत सिंह ,लक्ष्मी बाई की धरती पर
कोई गद्दार आतंक वादी है पाँव नहीं रख सकता !
एक सूत्र में बंधे हैं सब हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई
कोई माई का लाल हमे अलग नहीं कर सकता !
छीन सकेगा कोई न तुझ से माँ तेरा यश आधार
माँ तेरे सपूतों के आगे कोई नहीं टिक सकता !
तेरी आँखों में आंसू माँ कभी नहीं आने देंगे हम
माँ शत शत प्रणाम तुझे हर भारत वासी करता !
---- सत्येंद्र गुप्ता
नज़ीबाबाद
तेरे मस्तक पर सजा ताज़ कहीं और नहीं माँ सजता !
प्रातः सूरज की लालिमा में रूप तेरा ही दमकता
चाँद भी अपनी धवल किरणों से सिंगार तेरा करता !
गंगा यमुना की धारा से तन मन पुलकित रहता है
श्रद्धा ,ममता ,त्याग ,शांति से है तेरा वैभव सजता !
दक्षिण में सागर की लहरें हैं चरण तेरे ही धोती
उत्तर में गिरिराज हिमालय तेरी ही रक्षा करता !
तेरे आँगन में ही जन्मे थे सूर, कबीर और तुलसी
उनकी संस्कृत्यों का उजाला तुझे सुशोभित करता !
रक्षा बंधन ,ईद ,दिवाली ,बैसाखी ,होली ,क्रिसमस
बसंत अंक में लिए मधुमास , तुझे सुवासित करता !
गाँधी ,बोस ,भगत सिंह ,लक्ष्मी बाई की धरती पर
कोई गद्दार आतंक वादी है पाँव नहीं रख सकता !
एक सूत्र में बंधे हैं सब हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई
कोई माई का लाल हमे अलग नहीं कर सकता !
छीन सकेगा कोई न तुझ से माँ तेरा यश आधार
माँ तेरे सपूतों के आगे कोई नहीं टिक सकता !
तेरी आँखों में आंसू माँ कभी नहीं आने देंगे हम
माँ शत शत प्रणाम तुझे हर भारत वासी करता !
---- सत्येंद्र गुप्ता
नज़ीबाबाद
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