हम सदा तन्हाइयों के शहर में रहे
जहां रहे यादों के खँडहर में रहे !
ज़िन्दगी तूने ही कहीं रहने न दिया
सारी उम्र हम तो बस सफर में रहे !
भाग दौड़ में ही कट गई ज़िन्दगी
कभी चैन से न अपने घर में रहे !
बाढ़ आई कभी तो सूखा भी पड़ा
कभी हम अंधेरों के नगर में रहे !
फैसले भी छोटे बड़े सारे ही लिए
हम हमेशा अपने ही तेवर में रहे !
किरदार भी सारे ही निभाए हमने
जहाँ भी रहे सदा ही खबर में रहे !
मत पूछ हालते दीवानगी हमारी
तूझे बिना बताये तेरे शहर में रहे !
ईमान को कभी चूर होने न दिया
हर वक़्त आइनों के शहर में रहे !
तू भी न मिली कभी हमसे ज़िन्दगी
कहने को हम तेरी ही नज़र में रहे !
------सत्येंद्र गुप्ता
बाढ़ आई कभी तो सूखा भी पड़ा
कभी हम अंधेरों के नगर में रहे !
फैसले भी छोटे बड़े सारे ही लिए
हम हमेशा अपने ही तेवर में रहे !
किरदार भी सारे ही निभाए हमने
जहाँ भी रहे सदा ही खबर में रहे !
मत पूछ हालते दीवानगी हमारी
तूझे बिना बताये तेरे शहर में रहे !
ईमान को कभी चूर होने न दिया
हर वक़्त आइनों के शहर में रहे !
तू भी न मिली कभी हमसे ज़िन्दगी
कहने को हम तेरी ही नज़र में रहे !
------सत्येंद्र गुप्ता
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