जाने किस ज़माने की बात करते हैं
वह दिल दुखाने की बात करते हैं !
ज़ख़्म ताज़ा हैं चोट बहुत गहरी है
वह जशन मनाने की बात करते हैं !
ज़माखोरी करते हैं सदा दर्द की
ख़ज़ाने लुटाने की बात करते हैं !
ग़ुब्बारे फूलाकर उम्मीदों के वह
सूइयां चुभाने की बात करते हैं !
लाश शर्म सब वह छोड़ चुके हैं
निगाहें लड़ाने की बात करते हैं !
लहू कितना बचा है मुझ में अभी
मुझको आज़माने की बात करते हैं !
दो बूँद चखी नहीं जिसने कभी
वो पीने पिलाने की बात करते हैं !
किसी सूरत से बचपन लौट आये
हम पतंगें उड़ाने की बात करते हैं !
-------- सत्येंद्र गुप्ता
वह दिल दुखाने की बात करते हैं !
ज़ख़्म ताज़ा हैं चोट बहुत गहरी है
वह जशन मनाने की बात करते हैं !
ज़माखोरी करते हैं सदा दर्द की
ख़ज़ाने लुटाने की बात करते हैं !
ग़ुब्बारे फूलाकर उम्मीदों के वह
सूइयां चुभाने की बात करते हैं !
लाश शर्म सब वह छोड़ चुके हैं
निगाहें लड़ाने की बात करते हैं !
लहू कितना बचा है मुझ में अभी
मुझको आज़माने की बात करते हैं !
दो बूँद चखी नहीं जिसने कभी
वो पीने पिलाने की बात करते हैं !
किसी सूरत से बचपन लौट आये
हम पतंगें उड़ाने की बात करते हैं !
-------- सत्येंद्र गुप्ता
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