Tuesday, August 9, 2016

उसकी खुशी में खुशी अपनी देखी थी
आज खुशियों की फुलझड़ी देखी थी
पहली बार आज हमें मजा आया था
पहली मरतबा हमने जिंदगी देखी थी
आज फूल ने खूशबू महसूस की थी
आज चांद ने अपनी चांदनी देखी थी
गरमी से तपती सुलगती हुई धरती पे
सावन की ठंडी फुहार पड़ी देखी थी
लगा मन की बातें कर लें उनसे आज
होठों पर अजब सी ही चुप्पी देखी थी
चकाचौंध इतनी थी कि न पूछो यारों
अंधेरे मे चिरागों की बस्ती देखी थी
उसको देख तबियत न भरी देखकर
खुशियां आपस मे यूं जुड़ी देखी थी

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