आप देखते रहिए हमें फ़र्क़ नहीं पड़ता
दिल भी अब उस तरह नहीं धड़कता।
मालूम नहीं फूल कहाँ छोड़ आये हम
खुशबुओं का कोई सुराग़ नहीं मिलता।
ज़िंदगी हमें बहुत ही छोटी सी मिलती है
वादा उसका मौत से अच्छा नहीं लगता।
वह अंदर से तो बड़ा ही खोखला निकला
बिना तेल कभी कोई दिया नहीं जलता।
ग़ैर को खत लिखते रहे वो फ़र्ज़ी नाम से
और कहते रहे कोई ज़वाब नहीं मिलता।
न जाने आज की रात भी किस तरह कटे
मुफ़लिसी में चाँद भी अच्छा नहीं लगता।
दिल भी अब उस तरह नहीं धड़कता।
मालूम नहीं फूल कहाँ छोड़ आये हम
खुशबुओं का कोई सुराग़ नहीं मिलता।
ज़िंदगी हमें बहुत ही छोटी सी मिलती है
वादा उसका मौत से अच्छा नहीं लगता।
वह अंदर से तो बड़ा ही खोखला निकला
बिना तेल कभी कोई दिया नहीं जलता।
ग़ैर को खत लिखते रहे वो फ़र्ज़ी नाम से
और कहते रहे कोई ज़वाब नहीं मिलता।
न जाने आज की रात भी किस तरह कटे
मुफ़लिसी में चाँद भी अच्छा नहीं लगता।
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