Wednesday, October 7, 2015

अपनी कहानी में ज़गह दे दो 
जीने की मुझको वज़ह दे दो। 

ज़िंदगी हर  पल  दरक़ रही है 
सुहानी सी नसीमे सुबह दे दो। 

यही है दुनिया यही है ज़न्नत
इश्क़  इबादत की  तरह दे दो। 

नींद आ जाए मुझ को चैन से
सुनहरे  ख्वाबों  की  तह दे दो।

बहुत बेवफा है यह ज़िंदगी भी 
इसको वफ़ाओं की वज़ह दे दो।

मेरे प्यादे  का घर  बंद हो गया  
मुझे खेलने को अपनी शह दे दो। 

इश्क़ ख़ुदा हो  जिस चौखट पर   
मुझे बंदगी करने की जगह दे दो। 


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