रिश्तों को बेच दें हम चंद पैसों की खातिर
हमसे इतना भी शर्मसार नहीं हुआ जाता !
उम्र गुज़र गई फाका मस्ती में ही सारी
इस से ज्यादा इमानदार नहीं हुआ जाता
हमसे इतना भी शर्मसार नहीं हुआ जाता !
उम्र गुज़र गई फाका मस्ती में ही सारी
इस से ज्यादा इमानदार नहीं हुआ जाता
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