राम को देखकर बहुत खुश था रहीम
श्याम का घर चिन रहा था शमीम !
सब को रास्ता दिखा रहा था राम
दर्द सब के दूर कर रहा था रहीम !
किसकी आरज़ू और किसकी जुस्तजू
अपने ही तो हैं दोनों राम और रहीम !
किसकी मैं पूजा करूं या करूं सज़दा
पाई नहीं मैंने ही कभी इसकी तालीम !
खुशबु के झोंकों से हैं सुर्खरू दोनों ही
कहे चली जा रही है यह बादे नसीम !
श्याम का घर चिन रहा था शमीम !
सब को रास्ता दिखा रहा था राम
दर्द सब के दूर कर रहा था रहीम !
किसकी आरज़ू और किसकी जुस्तजू
अपने ही तो हैं दोनों राम और रहीम !
किसकी मैं पूजा करूं या करूं सज़दा
पाई नहीं मैंने ही कभी इसकी तालीम !
खुशबु के झोंकों से हैं सुर्खरू दोनों ही
कहे चली जा रही है यह बादे नसीम !
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