तेरे ग़म का आख़िर हम क्या करें
कब तलक़ तेरा हम सज़दा करें !
क्या करें इससे ज़्यादा यह बता
फ़ासला न रक्खें तो फिर क्या करें !
दिल का दर्द हमने भरा तस्वीर में
लकीरों को कितना हम गहरा करें !
वह तस्वीर आईने में देखी थी जो
क्यों बार बार उस को ही देखा करें !
मिला है मुझ को ही हमसफ़र ऐसा
दुआओं का भी आख़िर हम क्या करें !
तेरी बातों से मुझे डर लगने लगा है
तेरा कहा भी कैसे हम अनसुना करें !
बात कहने पर भी लगी हुई है पाबंदी
अब किस क़दर तेरा हम चर्चा करें !
शख्श किसी भी काम न आ सके जो
तू ही बता ,उस शख्श का क्या करें !
कब तलक़ तेरा हम सज़दा करें !
क्या करें इससे ज़्यादा यह बता
फ़ासला न रक्खें तो फिर क्या करें !
दिल का दर्द हमने भरा तस्वीर में
लकीरों को कितना हम गहरा करें !
वह तस्वीर आईने में देखी थी जो
क्यों बार बार उस को ही देखा करें !
मिला है मुझ को ही हमसफ़र ऐसा
दुआओं का भी आख़िर हम क्या करें !
तेरी बातों से मुझे डर लगने लगा है
तेरा कहा भी कैसे हम अनसुना करें !
बात कहने पर भी लगी हुई है पाबंदी
अब किस क़दर तेरा हम चर्चा करें !
शख्श किसी भी काम न आ सके जो
तू ही बता ,उस शख्श का क्या करें !
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