सूरज है , अंधकार से नहीं डरता
पानी के साथ पत्थर नहीं बहता !
थोड़ी सी मिलावट बेहद जरूरी है
खरे सोने से भी ज़ेवर नहीं बनता !
यह खबर है कि वो आने वाले हैं
इस खुशबु से ही जी नहीं भरता !
घर की बात घर में ही सुलझा लो
ठोकरों से कभी मुक़द्दर नहीं बदलता !
पेट में जब कभी भी आग जलती है
रोटी कह लेने से ही पेट नहीं भरता !
उजाड़े या बसाये यह उसकी इच्छा है
किसी के रोके से दरिया नहीं रुकता !
तुम नादान हो तुम्हे यह इल्म नहीं
ज़न्नत का दर बेवज़ह नहीं खुलता !
पानी के साथ पत्थर नहीं बहता !
थोड़ी सी मिलावट बेहद जरूरी है
खरे सोने से भी ज़ेवर नहीं बनता !
यह खबर है कि वो आने वाले हैं
इस खुशबु से ही जी नहीं भरता !
घर की बात घर में ही सुलझा लो
ठोकरों से कभी मुक़द्दर नहीं बदलता !
पेट में जब कभी भी आग जलती है
रोटी कह लेने से ही पेट नहीं भरता !
उजाड़े या बसाये यह उसकी इच्छा है
किसी के रोके से दरिया नहीं रुकता !
तुम नादान हो तुम्हे यह इल्म नहीं
ज़न्नत का दर बेवज़ह नहीं खुलता !