जो है उस से अब बेहतर चाहिए
दरिया सूख गया समंदर चाहिए।
इन रस्तों पर चलते उम्र गुजर गई
सफ़र को अब नई रहगुज़र चाहिए।
जो हुआ सो हुआ अब उसे भूल जा
अब दिल प्यार से तर-ब-तर चाहिए।
जिंदगी को तस्वीर बना कर रख दे
मुझे एक नया मुसव्विर चाहिए।
खिदमत माँ बाप की अच्छी नहीं लगती
उन्हें रहने के लिए अलग घर चाहिए।
हंसने पर कोई भी पाबंदी न हो जहाँ
ख्वाहिशों में भीगा वह शहर चाहिए।
मुसव्विर-कलाकार
Friday, October 14, 2011
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