झूठी शान दिखाने से क्या फायदा
दिन में दिए जलाने से क्या फायदा।
बदसूरत हो गया है अब चेहरा बहुत
नया शीशा मंगाने से क्या फायदा।
उम्र भर याद किया है इतना उन्हें
अब नज़रें चुराने से क्या फायदा।
हमारे किस्से भी लोग सुनायेंगे ही
ग़लत बातें बनाने से क्या फायदा।
बात पुरानी है एहसास तो जिंदा है
फिर रिश्ते निभाने से क्या फायदा।
बैठकर के जो सुन सके उसे ही सुना
हर किसी को सुनाने से क्या फायदा।
दुनिया वाले तुझको भला देंगे भी क्या
जख्म सबको दिखाने से क्या फायदा।
दीवानगी की भी कोई तो हद होगी
खुद को पागल बनाने से क्या फायदा।
Tuesday, October 4, 2011
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