Tuesday, July 27, 2010

अँधेरा बता रहा है अब शब् नहीं रही .

अँधेरा बता रहा है अब शब् नहीं रही
चिराग मांगने की नौबत अब नहीं रही।
चाहतों का दम भी अपनी चूक गया है
बस मलाल यह है अब तलब नहीं रही।
उसने पुराने घाव पर नश्तर चला दिया
आह भी अब हर्फे-जेरे-लब नहीं रही ।
खुशबु का हिसाब कर लिया था कल ही
लबों पर मुस्कराहट वह अब नहीं रही।
असर नहीं होगा हम पर किसी का अब
दुआएं हमारी कभी कम-नसब नहीं रही।

1 comment:

  1. उसने पुराने घाव पर नश्तर चला दिया
    आह भी अब हर्फे-जेरे-लब नहीं रही ,खुबसूरत शेर , बधाई

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