Saturday, July 17, 2010

नर्म हथेली पे हिना से नाम लिखके मेरा

खुद अपने से ही शर्माए जा रहे हैं वो
मुझसे भी नज़रें चुराए जा रहें हैं वो।
नर्म हथेली पे हिना से नाम लिखके मेरा
महफ़िल में बहुत इतराए जा रहे हैं वो।
बार बार दिल पे हाथ रख के अपने
मुझे जैसे सीने से लगाये जा रहे हैं वो।
ओठों पे मेरे प्यार की सुर्खी लिए हुए
आहों भरे नगमें गुनगुनाये जा रहे हैं वो।
उन्हें इतना खुबसूरत कभी नहीं देखा
यौवन के गुलमोहर खिलाये जा रहे हैं वो।

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