तीन मिसरी शायरी
एक तिरोही गज़ल
एक तिरोही गज़ल
सजदे करेगा बुढापा जब भी चौखट पर
मुझे अपनी अल्हड़ जवानी याद आएगी
नए लिबास में महक पुरानी याद आएगी
मुझे अपनी अल्हड़ जवानी याद आएगी
नए लिबास में महक पुरानी याद आएगी
तरसा करेंगी ख्वाब को जब कभी रातें
हवाओं की यह छेड़ खानी यादआएगी
यह फ़िजा यह रूत सुहानी याद आएगी
हवाओं की यह छेड़ खानी यादआएगी
यह फ़िजा यह रूत सुहानी याद आएगी
चेहरे पर नुमायां होगें उम्र के जब निशां
चेहरे पर वो ज़िल्द चढ़ानी याद आएगी
बच्चों जैसी उनकी शैतानी याद आएगी
चेहरे पर वो ज़िल्द चढ़ानी याद आएगी
बच्चों जैसी उनकी शैतानी याद आएगी
क़मर क़मान थी उनकी निगाहें तीर थी
उनकी वह मदमस्त जवानी याद आएगी
खौलते लहू की गर्म रवानी याद आएगी
उनकी वह मदमस्त जवानी याद आएगी
खौलते लहू की गर्म रवानी याद आएगी
शहरयारी की तमन्ना थी तेरे ही शहर में
यह कूचे ये गलियां पुरानी याद आएगी
कुछ घटाएँ काली तूफानी याद आएगी
यह कूचे ये गलियां पुरानी याद आएगी
कुछ घटाएँ काली तूफानी याद आएगी
बहुत पिया है इश्क का ज़हर हमने भी
रह रह कर मीरा दीवानी याद आएगी
दौर ए वक्त की सुल्तानी याद आएगी
रह रह कर मीरा दीवानी याद आएगी
दौर ए वक्त की सुल्तानी याद आएगी
जब मेरा यार मुझसे दूर चला जाएगा
शबे हिज़्र उसकी मेहमानी याद आएगी
गज़ल उसकी वही पुरानी याद आएगी
शबे हिज़्र उसकी मेहमानी याद आएगी
गज़ल उसकी वही पुरानी याद आएगी
मैं और मेरा आईना तन्हा ही रह जाएंगे
उनकी दी कोई निशानी याद आएगी
टूटी-फूटी सी यही कहानी याद आएगी
उनकी दी कोई निशानी याद आएगी
टूटी-फूटी सी यही कहानी याद आएगी
------ डॉ सत्येन्द्र गुप्ता
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