Wednesday, February 27, 2019

तीन मिसरी शायरी
एक तिरोही गज़ल
सजदे करेगा बुढापा जब भी चौखट पर
मुझे अपनी अल्हड़ जवानी याद आएगी 
नए लिबास में महक पुरानी याद आएगी
तरसा करेंगी ख्वाब को जब कभी रातें
हवाओं की यह छेड़ खानी यादआएगी
यह फ़िजा यह रूत सुहानी याद आएगी
चेहरे पर नुमायां होगें उम्र के जब निशां
चेहरे पर वो ज़िल्द चढ़ानी याद आएगी
बच्चों जैसी उनकी शैतानी याद आएगी
क़मर क़मान थी उनकी निगाहें तीर थी
उनकी वह मदमस्त जवानी याद आएगी
खौलते लहू की गर्म रवानी याद आएगी
शहरयारी की तमन्ना थी तेरे ही शहर में
यह कूचे ये गलियां पुरानी याद आएगी
कुछ घटाएँ काली तूफानी याद आएगी
बहुत पिया है इश्क का ज़हर हमने भी
रह रह कर मीरा दीवानी याद आएगी
दौर ए वक्त की सुल्तानी याद आएगी
जब मेरा यार मुझसे दूर चला जाएगा
शबे हिज़्र उसकी मेहमानी याद आएगी
गज़ल उसकी वही पुरानी याद आएगी
मैं और मेरा आईना तन्हा ही रह जाएंगे
उनकी दी कोई निशानी याद आएगी
टूटी-फूटी सी यही कहानी याद आएगी
------ डॉ सत्येन्द्र गुप्ता

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