मेरे महबूब ही हमको दर्द तमाम देते हैं
हम इश्क़ का जब भी कभी नाम लेते हैं।
बहुत खूबसूरत दिल था अपना भी कभी
अब दिल से हम पत्थर का काम लेते हैं।
हवाओं ने भी चलन अपना बदल लिया
अब न ही आशिक़ी का वो सलाम लेते हैं।
यादों में भी अब उनकी खुशबु नहीं आती
हिचकी हम अब भी सुबहो शाम लेते हैं।
थक गई राहे वफ़ा भी बता अब क्या करें
लोग वफ़ाओं का भी अब तो दाम लेते हैं।
दुआओं की तो बहुत सारी शक़्लें हैं अब भी
हम अब भी तो सर उनका इलज़ाम लेते हैं।
मिज़ाज ही बदल गया उस शख्स का अब
हम तो अब भी बस उनका ही नाम लेते हैं।
हम इश्क़ का जब भी कभी नाम लेते हैं।
बहुत खूबसूरत दिल था अपना भी कभी
अब दिल से हम पत्थर का काम लेते हैं।
हवाओं ने भी चलन अपना बदल लिया
अब न ही आशिक़ी का वो सलाम लेते हैं।
यादों में भी अब उनकी खुशबु नहीं आती
हिचकी हम अब भी सुबहो शाम लेते हैं।
थक गई राहे वफ़ा भी बता अब क्या करें
लोग वफ़ाओं का भी अब तो दाम लेते हैं।
दुआओं की तो बहुत सारी शक़्लें हैं अब भी
हम अब भी तो सर उनका इलज़ाम लेते हैं।
मिज़ाज ही बदल गया उस शख्स का अब
हम तो अब भी बस उनका ही नाम लेते हैं।
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