अब किसी बात का ख़याल नहीं होता
दिल चोट से अब बेहाल नहीं होता।
ज़िंदगी से समझौते कर लिए इतने
अब ज़िंदगी से भी सवाल नहीं होता।
दिल के कोने में दर्द सिमटे हैं इतने
ज़िक्र उन का माहो साल नहीं होता।
वफाओं का सितम अगर देख लेते
बेवफ़ाई पर कभी मलाल नहीं होता।
मिज़ाजे हुस्न अगर समझ आ जाता
इश्क़ कभी जी का जंजाल नहीं होता।
हाले दिल जाकर भी सुनाते किसे हम
मुहब्बत के सौदे में दलाल नहीं होता।
बहार तो दर पर खड़ी है मेरे अब भी
तक़दीर का ही कोई क़माल नहीं होता।
दिल चोट से अब बेहाल नहीं होता।
ज़िंदगी से समझौते कर लिए इतने
अब ज़िंदगी से भी सवाल नहीं होता।
दिल के कोने में दर्द सिमटे हैं इतने
ज़िक्र उन का माहो साल नहीं होता।
वफाओं का सितम अगर देख लेते
बेवफ़ाई पर कभी मलाल नहीं होता।
मिज़ाजे हुस्न अगर समझ आ जाता
इश्क़ कभी जी का जंजाल नहीं होता।
हाले दिल जाकर भी सुनाते किसे हम
मुहब्बत के सौदे में दलाल नहीं होता।
बहार तो दर पर खड़ी है मेरे अब भी
तक़दीर का ही कोई क़माल नहीं होता।
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