तेरे जाने के बाद ही शाम हो गई
शब् पूरी अंधेरों के नाम हो गई !
मैक़दे की तरफ बढ़ चले क़दम
ज़िंदगी ही फिर जैसे ज़ाम हो गई !
आँखों से आंसु बन बह गया दर्द
उम्मीद मेरी मुझ पे इल्ज़ाम हो गई !
वक्त का फिर कभी पता नहीं चला
रफ़्ता रफ़्ता उम्र ही तमाम हो गई !
जिंदगी में ख़ुशी जितनी भी थी
वक्त के हाथों सब नीलाम हो गई !
चल कहकहों में दफ़्न कर दें अब
वह खामुशी जो सरे आम हो गई !
शब् पूरी अंधेरों के नाम हो गई !
मैक़दे की तरफ बढ़ चले क़दम
ज़िंदगी ही फिर जैसे ज़ाम हो गई !
आँखों से आंसु बन बह गया दर्द
उम्मीद मेरी मुझ पे इल्ज़ाम हो गई !
वक्त का फिर कभी पता नहीं चला
रफ़्ता रफ़्ता उम्र ही तमाम हो गई !
जिंदगी में ख़ुशी जितनी भी थी
वक्त के हाथों सब नीलाम हो गई !
चल कहकहों में दफ़्न कर दें अब
वह खामुशी जो सरे आम हो गई !
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