Sunday, April 15, 2012

रिश्तों में प्यार का व्यापार नहीं होता
तराजू से तौलकर भी तो प्यार नहीं होता।
दिल की ज़ागीर को मैं कैसे लुटा दूं
हर कोई चाहत का हक़दार नहीं होता।
उजाड़ शब की तन्हाई का आलम न पूछिए
मरने का तब भी तो इंतज़ार नहीं होता।
चमकते थे दरो-दीवार कभी मेरे घर के भी
अब शोखियों से भी दिल गुलज़ार नहीं होता।

बिछड़ते हुए उन आँखों का बोलना देख लेता
तो गया मैं कभी समन्दर पार नहीं होता।
मुझे देखते ही वो खिलखिलाकर हंस दिए
अदावत का कभी कोई मेयार नहीं होता।

अदावत--शत्रुता , मेयार--स्तर



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