Wednesday, April 4, 2012

शुहरत बवाले-जां है,ख़ाली में नहीं मिलती
मंजिल कभी शब् की स्याही में नहीं मिलती।
दिल का सौदा तो कोई भी कर लेता है मगर
ज़िन्दगी किसी को उधारी में नहीं मिलती।
जो हंस रहा है उसको, हंस लेने दे खुलकर
चाहतें कभी भी मेहरबानी में नहीं मिलती।
चाँद को छूने का कभी जज़्बा जिगर में था
बचपन की महक जवानी में नहीं मिलती।
हवाएं तेज़ हों तो किश्तियाँ लौट आती हैं
मुहब्बत की हवेली नीलामी में नहीं मिलती।
आँखों से आंसूओं की बाढ़ रूक नहीं सकी
मिसाल ऐसी किसी तबाही में नहीं मिलती।




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