बचपन में हम अमीर थे गरीब हो गये
जिंदगी के ज़्यादा अब करीब हो गये।
ज़हाज कागज़ों के उड़ाते थे शौक से
हौसले वो सारे बे -तरतीब हो गये।
दूर हो गये आइना ए दिल से इतना
चेहरे दिखने में अजीबो गरीब हो गये।
हवा के मिजाज़ का भी पता न चला
हुस्नो इश्क ही दिल के रकीब हो गये।
रंगो लिबास वक़्त के संग बदल गया
रिश्तों के ढंग भी सब अज़ीब हो गये।
तितलियों के खेल पर पाबंदी लग गई
झूठी कहानियों के अब करीब हो गये।
Friday, February 24, 2012
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