दोस्तों,
१८ जनवरी २०१२ को मेरी गजलों की एक ओडियो अल्बम * अनजाने हो गये * सोनिक इंटरप्राएइसेस ,दिल्ली द्वारा पूरे भारत में लोंच की गई है। इसकी कुछ ग़ज़लें हैं......
मैखाने में जरा कभी आकर तो देखिये....गायक -- सन्न्वर अली---
मैख़ाने में जरा कभी आकर तो देखिये
एक बार ज़ाम लब से लगाकर तो देखिये।
दुनिया को तुमने अपना बनाया तो है मगर
हमको भी कभी अपना बनाकर तो देखिये।
तुम हाले दिल पे मेरे हंसोगे न फिर कभी
पहले किसी से दिल को लगाकर तो देखिये।
जिसकी तुम्हे तलाश है मिल जायेगा तुम्हे
चाहत में उसकी खुद को मिटाकर तो देखिये।
फिर होश में न आओगे दावा है ये मेरा
उनकी नज़र से नज़र मिलाकर तो देखिये।
हर अदा में कमाल था कोई ---दीपा चौहान --सन्न्वर अली----
हर अदा में कमाल था कोई
आप अपनी मिसाल था कोई।
उसके आशिक थे मिस्ले-परवाना
हुस्न से मालामाल था कोई।
उससे छुटकारा मिल गया हमको
एक जाने बवाल था कोई।
वो मिला है न मिल सकेगा कभी
एक दिल में ख्याल था कोई।
बेचकर खून रोटियाँ लाया
भूख से यूँ निढाल था कोई।
भीगी आँखों से देखना उसका
आंसुओं में सवाल था कोई।
झुकी तो हया हो गई -----गायक-----सरफराज साबरी---
झुकी तो ह्या हो गई
उठी तो दुआ हो गई।
बढ़ी इतनी दीवानगी
मुहब्बत सजा हो गई।
तुम्हारे बिना जिंदगी
बड़ी बेमज़ा हो गई।
अजाब मुस्कराहट तेरी
सरापा कज़ा हो गई।
हुई तुमसे क्या दोस्ती
ये दुनिया खफा हो गई।
पैगाम मेरा लेकर जो बादे सबा गई -----गायिका ----दीपा चौहान
पैगाम मेरा लेकर जो बादे सबा गई
सुनते हैं नमी आँख में उनके भी आ गई।
मैं आईने के सामने पहुँची जिस घडी
मेरी बुराई साफ़ नज़र मुझको आ गई।
एक मैकदा सा बंद था उसकी निगाह में
मदहोश कर गई मुझे बेखुद बना गई।
Sunday, February 5, 2012
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