Sunday, January 29, 2012

हिमालय से बर्फीली बयार आ गई
वसंत को भी ठंड की मार सता गई।
वसंत आने का अब के पता न चला
वसंत में वासन्ती साड़ी कंपकपा गई।
सुबह रजाई में सिमटा रहा वसंत
सर्दी मस्त उमंगों को भी सुला गई।
सुबह सवेरे कौवे ने तो कांव कांव की
कोयल की कूक मगर ठंड मना गई।
वसंत अपने पाँव चलकर नहीं आता
ज़िद मौसम की ये अहसास दिला गई।
वसंत आया और आकर चला गया
वसंत की याद मगर बहुत तडपा गई।


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