जंग लगे हथियारों में अब नई धार लगानी है
नये अंदाज़ में वन्दे-मातरम की आवाज़ सुनानी है।
नहीं खेलने देंगे किसी को हम अपने सम्मान से
भ्रष्टाचार की होली भी तो हमको ही जलानी है।
सशक्त और समर्द्ध राष्ट्र अपना हमें बनाना है
इसके लिए हम को कोई नई चाल अपनानी है।
घोटालों का ताना बाना न कोई भी बुन पायेगा
सिरफिरे लोगों को यह बात हमें समझानी है।
हाथ उठाकर शपथ लेते हैं, वोट जरूर डालेंगे
हर हालत में देश की लाज हमको बचानी है।
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राष्ट्र को समर्पित सुन्दर कविया. साधुवाद.
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