तन मन में बिखरी खुशबू गुलालों की है
धूम मचाती आयी दीवानों की टोली है।
मच रहा है हुरंग चारों तरफ रंगो का
मस्ती छाई हुई हर दिल में होली की है।
गोरी का भीगा घाघरा व तंग चोली है
आंटी भी आज सोलह बरस की होली है।
फागुनी बयार में छाये गुलाबी बादल हैं
उसने भंग में मुंह की लाली ही धो ली है।
कन्हैया भी राधा को कर रहा ई-मेल है
रुक्मणी भी आज इन्टरनेट की हो ली है।
रंगों के छींटे टी वी स्क्रीन पर बिखरे हैं
होली भी अब तो बहुत हाई टेक हो ली है।
चारों और मचा हुआ बस एक ही शोर है
बुरा मानो तो मानो भई आज तो होली है।
Monday, February 14, 2011
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