Friday, December 10, 2010

तुझे रुकने का वक़्त न था

तुझे रुकने का वक़्त न था
मिरा टोकने का वक़्त न था।
इतना भी यकीन है मुझको
पत्थर था तू सख्त न था।
साया दिया था जिसने हमे
सर पर बूढा दरख्त न था।
जमा होता तो मर गया होता
इतना ठंडा भी रक्त न था।
ज़ज्बात रहे न वो मगर
मैं कभी इतना मस्त न था।

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