Friday, December 10, 2010

दर्द से रोशनी नहीं होती.

दर्द से रोशनी नहीं होती
हर घड़ी बन्दगी नहीं होती।
कल हवेली थी अब खंडहर है
वक़्त से दोस्ती नहीं होती।
आसमा को तकते रहने से
हर शब् चांदनी नहीं होती।
घर की वीरानी में ऐ दोस्त
खिड़कियाँ खुली नहीं होती।
गुस्से में जो भी बात होती है
वजनी वो कभी नहीं होती।
जिंदगी किसी तरतीब से भी
पल पल रेशमी नहीं होती।
क्या अजब मिल जाये अभी
ख़ुशी सदा अपनी नहीं होती।

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