मेरी तस्वीर लेजाके साथ करोगे क्या
तन्हाई में भी मुझसे बात करोगे क्या।
मेरे ख़त को तो सम्भाल न पाए तुम
ग़मों की और बरसात करोगे क्या।
हर चोट सही है हंस हंस कर मैंने
मेरे हर दिन को रात करोगे क्या।
छिप कर आ बसा हूँ तेरी बस्ती में
मुझे इतना बर्दाश्त करोगे क्या।
सीधा सादा सा मासूम बहुत हूँ मैं
रख कर ताल्लुकात करोगे क्या।
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