अखलाक जरूरी है सलीका भी जरूरी है
जमाने के हिसाब से जीना भी जरूरी है।
आवाज़ में मिठास नाज़ुक सी मुस्कान
अंदाज़ में इनका होना भी जरूरी है।
खूबसूरती को अपनी तराशने के लिए
किसी हुनर का पास होना भी जरूरी है।
हादसा घर पर रहकर भी हो सकता है
अच्छे के लिए दुआ होना भी जरूरी है।
टोकता खुद को न यदि मैं बिगड़ जाता
जिंदगी में नसीहत का होना भी जरूरी है।
Tuesday, November 23, 2010
मेरे हुनर ने मुझे नई पहचान दी है
मेरे हुनर ने मुझे नई पहचान दी है
नई आन नई बान नई शान दी है।
फना हो जाता मैं तो कभी का ही
दुश्मनों ने मेरे लिए जान दी है।
बताया मुझे हवाओं ने जब चली
अपनों ने सर टकराने को चट्टान दी है।
हम तो निकले थे मौत को खोजते
होसलों ने मौत को थकान दी है।
काबू खो बैठा था मैं खुद पर से ही
नर्म लम्स ने मुझे मुस्कान दी है।
वरक वरक फसाना बिखर गया था
मैंने जज्बातों को नई उफान दी है।
नई आन नई बान नई शान दी है।
फना हो जाता मैं तो कभी का ही
दुश्मनों ने मेरे लिए जान दी है।
बताया मुझे हवाओं ने जब चली
अपनों ने सर टकराने को चट्टान दी है।
हम तो निकले थे मौत को खोजते
होसलों ने मौत को थकान दी है।
काबू खो बैठा था मैं खुद पर से ही
नर्म लम्स ने मुझे मुस्कान दी है।
वरक वरक फसाना बिखर गया था
मैंने जज्बातों को नई उफान दी है।
वक़्त का क्या है निकल जायेगा
सोचोगे तो रस्ता भी मिल जायेगा
वक़्त का क्या है निकल जायेगा।
आज जहाँ है जो,कल नहीं रहेगा
मुसाफिर आगे निकल जायेगा।
आदमी के ही मसले होते हैं बहुत
बच्चा एक खिलोने से बहल जायेगा।
तुने जो कहाथा मैं भी कह सकता हूँ
फैसला ऐ हाकिम तो बदल जायेगा।
एक शहर के अपने किस्से होते हैं
शहर बदलते किस्सा बदल जायेगा।
नाम से फर्क भी पड़ता क्या है आखिर
बदलना चाहो तो झट बदल जायेगा।
वक़्त का क्या है निकल जायेगा।
आज जहाँ है जो,कल नहीं रहेगा
मुसाफिर आगे निकल जायेगा।
आदमी के ही मसले होते हैं बहुत
बच्चा एक खिलोने से बहल जायेगा।
तुने जो कहाथा मैं भी कह सकता हूँ
फैसला ऐ हाकिम तो बदल जायेगा।
एक शहर के अपने किस्से होते हैं
शहर बदलते किस्सा बदल जायेगा।
नाम से फर्क भी पड़ता क्या है आखिर
बदलना चाहो तो झट बदल जायेगा।
Thursday, November 18, 2010
वक़्त के साथ चलता चलता मैं लम्हा हो जाऊँगा
वक़्त के साथ चलता चलता मैं लम्हा हो जाऊँगा
बेटे को छोटू कहते कहते मैं बूढा हो जाऊँगा।
मेरे क़द से ऊंचा जब छोटू मेरा हो जायेगा
अंगुली पकड़ के चलता मैं बच्चा हो जाऊँगा।
आँखों पर हथेली रखकर पूछेगा मैं कौन हूँ
मचल जाऊँगा मैं उसका सपना हो जाऊँगा।
नाहक छेड़ा किस्सा तूने महफ़िल में रहने का
घर तक पहुंचते पंहुचते मैं रुसवा हो जाऊँगा।
अपने हाथों में लिखी तेरी मेरी तकदीर का
वरक पढ़ते पढ़ते मै किस्सा हो जाऊँगा।
बेटे को छोटू कहते कहते मैं बूढा हो जाऊँगा।
मेरे क़द से ऊंचा जब छोटू मेरा हो जायेगा
अंगुली पकड़ के चलता मैं बच्चा हो जाऊँगा।
आँखों पर हथेली रखकर पूछेगा मैं कौन हूँ
मचल जाऊँगा मैं उसका सपना हो जाऊँगा।
नाहक छेड़ा किस्सा तूने महफ़िल में रहने का
घर तक पहुंचते पंहुचते मैं रुसवा हो जाऊँगा।
अपने हाथों में लिखी तेरी मेरी तकदीर का
वरक पढ़ते पढ़ते मै किस्सा हो जाऊँगा।
मेरी तस्वीर लेजाके साथ करोगे क्या
मेरी तस्वीर लेजाके साथ करोगे क्या
तन्हाई में भी मुझसे बात करोगे क्या।
मेरे ख़त को तो सम्भाल न पाए तुम
ग़मों की और बरसात करोगे क्या।
हर चोट सही है हंस हंस कर मैंने
मेरे हर दिन को रात करोगे क्या।
छिप कर आ बसा हूँ तेरी बस्ती में
मुझे इतना बर्दाश्त करोगे क्या।
सीधा सादा सा मासूम बहुत हूँ मैं
रख कर ताल्लुकात करोगे क्या।
तन्हाई में भी मुझसे बात करोगे क्या।
मेरे ख़त को तो सम्भाल न पाए तुम
ग़मों की और बरसात करोगे क्या।
हर चोट सही है हंस हंस कर मैंने
मेरे हर दिन को रात करोगे क्या।
छिप कर आ बसा हूँ तेरी बस्ती में
मुझे इतना बर्दाश्त करोगे क्या।
सीधा सादा सा मासूम बहुत हूँ मैं
रख कर ताल्लुकात करोगे क्या।
Thursday, November 11, 2010
तुम्हारी बातों पर सब निहाल हो गये
तुम्हारी बातों पर सब निहाल हो गये
दिल से फकीर थे मालामाल हो गये।
तुम्हे देख कर ये ख्याल है आया
तुमसे मिले हुए सालों साल हो गये।
रिश्ता पुराना है जुनून है नया नया
समय बदला दोनों फिर कमाल हो गये।
पहचान तुममे मुझमे बरकरार है अभी
यह जान कर सब जने बेहाल हो गये।
बुझी नहीं प्यास, बुझाने को प्यास को
समंदर सब के सब ही बेहाल हो गये।
दिल से फकीर थे मालामाल हो गये।
तुम्हे देख कर ये ख्याल है आया
तुमसे मिले हुए सालों साल हो गये।
रिश्ता पुराना है जुनून है नया नया
समय बदला दोनों फिर कमाल हो गये।
पहचान तुममे मुझमे बरकरार है अभी
यह जान कर सब जने बेहाल हो गये।
बुझी नहीं प्यास, बुझाने को प्यास को
समंदर सब के सब ही बेहाल हो गये।
हर खुशबु की अलग ही तासीर होती है
हर खुशबु की अलग ही तासीर होती है
बहते हैं अश्क आँख से जब पीर होती है।
फूल नकली ही चमकते हैं सालों साल
असली फूल की भी क्या तकदीर होती है।
मां की बेटी की बहिन की औ बीवी की
हर मुहब्बत की अलग तस्वीर होती है।
चमका देती है मेरे नसीब को भी वह
वह जो तेरे हाथ की लकीर होती है।
गरूर लहजे में मेरे भी आ ही जाता है
दिल में बसी तेरी जब तस्वीर होती है।
तुझ से ही पूछता हूँ बार बार मैं यह
क्यों जान लेवा तेरी तस्वीर होती है।
ख्वाहिशें बदलती हैं, है जिस्म टूटता
शबे- तन्हाई की यह तासीर होती है।
ज़ल्द सूखता है हरा रहता है कभी
हर ज़ख्म की अलग तकदीर होती है।
बाज़ार खुल जाता है जब दर्द का दिल में
चेहरे पर खिंची एक लकीर होती है।
बहते हैं अश्क आँख से जब पीर होती है।
फूल नकली ही चमकते हैं सालों साल
असली फूल की भी क्या तकदीर होती है।
मां की बेटी की बहिन की औ बीवी की
हर मुहब्बत की अलग तस्वीर होती है।
चमका देती है मेरे नसीब को भी वह
वह जो तेरे हाथ की लकीर होती है।
गरूर लहजे में मेरे भी आ ही जाता है
दिल में बसी तेरी जब तस्वीर होती है।
तुझ से ही पूछता हूँ बार बार मैं यह
क्यों जान लेवा तेरी तस्वीर होती है।
ख्वाहिशें बदलती हैं, है जिस्म टूटता
शबे- तन्हाई की यह तासीर होती है।
ज़ल्द सूखता है हरा रहता है कभी
हर ज़ख्म की अलग तकदीर होती है।
बाज़ार खुल जाता है जब दर्द का दिल में
चेहरे पर खिंची एक लकीर होती है।
कोई पूछे कहना हम तौबा नहीं करते
कोई पूछे कहना हम तौबा नहीं करते
दोस्तों के लिए हम क्या नहीं करते।
ठोकरे तो जमाने में सबको लगती हैं
किसी के गिर जाने पे हंसा नहीं करते।
तू तो मुसाफिर ही खुली धूप का था
फिर गिला क्यों है हम साया नहीं करते।
ख़ाली हाथ आये ख़ाली हाथ ही रहे
शुहरत पाकर कभी मचला नहीं करते।
आँधियों को हाथ थामने की जिद थी
कागज की नाव में पार जाया नहीं करते।
यह भी हमारी किस्मत की ही खराबी थी
वरना रात में घर से निकला नहीं करते।
दोस्तों के लिए हम क्या नहीं करते।
ठोकरे तो जमाने में सबको लगती हैं
किसी के गिर जाने पे हंसा नहीं करते।
तू तो मुसाफिर ही खुली धूप का था
फिर गिला क्यों है हम साया नहीं करते।
ख़ाली हाथ आये ख़ाली हाथ ही रहे
शुहरत पाकर कभी मचला नहीं करते।
आँधियों को हाथ थामने की जिद थी
कागज की नाव में पार जाया नहीं करते।
यह भी हमारी किस्मत की ही खराबी थी
वरना रात में घर से निकला नहीं करते।
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