हर बात पर चश्मे तर किया नहीं करते
अपनी ही आग में कभी जला नहीं करते ।
आदत पुरानी है मेरी सवाल करने की
जवाब पर बस अब हम उलझा नहीं करते।
तेरा अज़ाब पाकर मुतमइन हूँ बहुत
इससे ज्यादा और तमन्ना नहीं करते।
टूट गये कच्चे घड़े सब मेरे सहन के
प्यासे लब फिर भी शिकवा नहीं करते।
किसके लिए दरवाजे पे उतरा चाँद था
धुंधली आँखों से ये देखा नहीं करते।
आंसू मेरे थे मुझ पर ही रोके चले गये
अपनों से परेशां कभी हुआ नहीं करते।
वह मेरा कुछ लगता भी है या नहीं
यह बात हम खुद से पूछा नहीं करते।
सफ़र में प्यार के आती हैं फिजां सब
नया आसमां देख के डरा नहीं करते।
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