Wednesday, October 13, 2010

जितना जानता हूँ उतना बता सकता हूँ

जितना जानता हूँ उतना बता सकता हूँ
इससे ज्यादा और क्या बता सकता हूँ।
हाँ इन दिनों मैंने और भी कुछ जाना है
कुछ और भी मैं नया बता सकता हूँ।
तंग दिनों में कैसे माँ ने रोटी सेकी थी
बढती महंगाई में इतना बता सकता हूँ।
रात भर जगती होगी माँ बीमारी में मेरी
पत्नी माँ जब से बनी इतना बता सकता हूँ।
खुद गीले में रहके सुलाती मुझे सूखे में
कैसी थी वह ममता इतना बता सकता हूँ।
एक बार गिर गया तो संभल न पाऊंगा
भीड़ में पिस जाऊँगा बता सकता हूँ।
इबादत का कोई हिसाब नहीं होता कभी
सजदा करता हूँ बस इतना बता सकता हूँ।
नई शुरुआत करें नफरतें मिटा दे दिलों से
प्यार में ही सब कुछ है इतना बता सकता हूँ.

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