बिटिया अब सयानी हो गयी
बड़ी होकर नूरानी हो गयी।
पांच हाथ की साडी पहनकर
उमंग उसकी रूमानी हो गयी।
परियों की कहानी सुनना
अब आदत पुरानी हो गयी ।
गुड्डे- गुड़ियों संग खेलना
भी अब एक कहानी हो गयी।
कल्पनाओं में भ्रमण करती
खुशियों की दीवानी हो गयी।
सोलह श्रृंगार करके अपने
पिया की महारानी हो गयी।
समय के साथ साथ बिटिया
पूरी हिन्दुस्तानी हो गयी।
समय जैसे बीता तो अपने
बच्चों की नौकरानी हो गयी।
बेटी- बेटों को सुनाती फिर
परियों की याद सुहानी हो गयी।
बच्चों की सेवा करने में ही
उसकी खत्म जवानी हो गयी।
समय आगे और बढ़ा तो
फिर एक नयी कहानी हो गयी।
परियों की कहानियां अब
उसको याद जुबानी हो गयी।
अपना फ़र्ज़ निभाती निभाती
आत्म संतोष की कहानी हो गयी।
नाती - पोतों के संग खेलती
वह बूढी दादी नानी हो गयी।
बाबुल के आँगन की नन्ही
बिटिया कितनी सयानी हो गयी।
आत्म संतोष की कहानी हो गयी
बिटिया दादी -नानी हो गयी ।
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