उनकी बातों में
न जाने क्या बात है
सबको अपना बनने का
हुन्नर आता है
अजब फनकार हैं
आँखें उनकी
पत्थरों में आइयेना
तलाशने का हुन्नर आता है
धुप में सूखती
उनकी जुल्फों को देख
मौसम को भी अपने में
बदलाव नज़र आता है
अजाब रोमानी है
उनकी जुदाई की शेह भी
की जिगर का दर्द भी
गुलज़ार नज़र आता है
Saturday, May 23, 2009
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