आज की बात पर
कल का वायदा क्या करे
आज खिली धूप है
कल खिले न खिले ।
जमाना बेताब है
करवटे बदलने के लिए
आज दिल मिले हैं
कल मिले न मिले ।
उम्र भर साथ रहने का
दम भरते थे
चले गये खबर नहीं
अब मिले न मिले ।
घर का सूना कोना
गले लिपटकर रो रहा
सब मुसाफिर हैं यहाँ
फिर मिले न मिले।
Sunday, May 31, 2009
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