Tuesday, January 7, 2020

तिरोही गज़ल

तिरोही गज़ल
इश्क कोई परदा एे साज़ नहीं होता
तूफान का कोई मिज़ाज नहीं होता
बिना दवा दर्द का इलाज नहीं होता
मर जाते प्यार में जिन्दा नहीं रहते
इश्क अगर शाहिद बाज़ नहीं होता
किसी को इसका अंदाज़ नहीं होता
मैंने क्या कहा और तुमने क्या सुना
अब हमें कोई ऐतराज़ नहीं होता
बेगानों का हमसे लिहाज नहीं होता
गरीब की भी कोई हैसीयत न होती
सामने अगर गरीब नवाज़ नहीं होता
दिल सदा मेहमान नवाज़ नहीं होता
परदा ए साज - हारमोनियम
शाहिद बाज़ - चाहने वाला
गरीब नवाज़ - अमीर
मेहमान नवाज़ - सत्कार करने वाला
डॉ सत्येन्द्र गुप्ता

2 comments:

  1. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" शनिवार 18 अप्रैल 2020 को लिंक की जाएगी ....
    http://halchalwith5links.blogspot.in
    पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद!

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