तिरोही गज़ल
जब से बस गए तुम आकर यहां
यह मौहल्ला बड़ा अमीर हो गया
खुबसूरती की ये जागीर हो गया
गुलाब की तरह महकने लगे दिल
हर नज़ारा तुम्हारी तस्वीर हो गया
हर दिल रांझा और हीर हो गया
हर नज़ारा तुम्हारी तस्वीर हो गया
हर दिल रांझा और हीर हो गया
हर एक सागर भर गया सरूर से
मुहब्बत की वह तहरीर हो गया
अंदाज़ शाहाना फ़कीर हो गया
तहरीर - लिखावट
शाहाना - राजसी
डॉ सत्येन्द्र गुप्ता नजीबाबाद
मुहब्बत की वह तहरीर हो गया
अंदाज़ शाहाना फ़कीर हो गया
तहरीर - लिखावट
शाहाना - राजसी
डॉ सत्येन्द्र गुप्ता नजीबाबाद
No comments:
Post a Comment