Tuesday, January 7, 2020

तिरोही गज़ल

तिरोही गज़ल

जब से बस गए तुम आकर यहां
यह मौहल्ला बड़ा अमीर हो गया
खुबसूरती की ये जागीर हो गया
गुलाब की तरह महकने लगे दिल
हर नज़ारा तुम्हारी तस्वीर हो गया
हर दिल रांझा और हीर हो गया
हर एक सागर भर गया सरूर से
मुहब्बत की वह तहरीर हो गया
अंदाज़ शाहाना फ़कीर हो गया
तहरीर - लिखावट
शाहाना - राजसी
डॉ सत्येन्द्र गुप्ता नजीबाबाद

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