तिरोहे तीन मिसरी शायरी
शहीद हुए पुलवामा में जो श्रद्धान्जली उन्हें देने को
वंदे मातरम की हमने अब अलख नई जगा दी है
आतंकवाद की होली भी पार सरहद ही जला दी है
वंदे मातरम की हमने अब अलख नई जगा दी है
आतंकवाद की होली भी पार सरहद ही जला दी है
नहीं खेलने देंगे किसी को भी मां तेरे सम्मान से हम
सरफिरे लोगो को हमने यह बात अब समझा दी है
मां तेरे सपूतों ने तेरी रक्षा करने की दिल
में ठानी है
सरफिरे लोगो को हमने यह बात अब समझा दी है
मां तेरे सपूतों ने तेरी रक्षा करने की दिल
में ठानी है
न छीन सकेगा कोई मां तुझसे तेरे स्वाभिमान को
घर घर में जन्मे भगत सिंह रानी लक्ष्मीबाई है
नए अंदाज़ में मां तेरी जय जयकार हमें
सुनानी है
घर घर में जन्मे भगत सिंह रानी लक्ष्मीबाई है
नए अंदाज़ में मां तेरी जय जयकार हमें
सुनानी है
बरसों गुलामी सह हमने दौलत देश भक्ति
की कमाई थी
न लुटने देंगे इस सम्पदा को कसम सबने ये
खाई है
ये साहस धैर्य और देशभक्ति मां तुझ पर ही बलिहारि है
की कमाई थी
न लुटने देंगे इस सम्पदा को कसम सबने ये
खाई है
ये साहस धैर्य और देशभक्ति मां तुझ पर ही बलिहारि है
जंग लगे हथियारों पर हमने अब धार तेज़
लगवा दी है
नए अंदाज़ में वंदे मातरम की आवाज भी
सबको सुना दी है
आतंकवाद की होली हमने पार सरहद के जला दी है
लगवा दी है
नए अंदाज़ में वंदे मातरम की आवाज भी
सबको सुना दी है
आतंकवाद की होली हमने पार सरहद के जला दी है
----- डॉ सत्येन्द्र गुप्ता
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