Monday, March 11, 2019

   



       तिरोहे-
तीन मिसरी शायरी
चांद को पा लेने की हसरत न मिटी
बता ज़मीं पर उसको क़ैसे उतारें हम
दूर से भी उसको कितना निहारें हम
फासला न रखें तो फिर क्या करें हम
किस तरह साथ उसके चला करें हम
उसके गम का आखिर क्या करें हम
दिल का दर्द तस्वीरों में भर दिया हमने
लकीरों को कितना और गहरा करें हम
क्यों बार बार आईना ही देखा करें हम
मिला है मुझे ही हमसफर ऐसा क्यों
कैसे उसका चरचा किया करें हम
बता क्यों उसका ही सजदा करें हम
--डॉ सत्येन्द्र गुप्ता

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