Friday, May 11, 2018

   तीन लाइन की शायरी
      मेरा नया प्रयास

फासला तो रहना चाहिए बीच में
आग से छेड़खानी अच्छी नहीं
हवा की तेज़ रवानी अच्छी नहीं

वह ख़फा हो जाएंगे देख लेना
बडो से बदजुबानी अच्छी नहीं
इतनी  बदगुमानी अच्छी  नहीं

तेरा ही नशा नहीं उतरता जिंदगी
जाने किस किस्म की तू शराब है
तुझ में भी बड़े गज़ब का  ताब है

फाका मस्ती में कट गई उम्र सारी
इतना भी ईमानदार नहीं हुआ जाता
टूटी किश्ती में सवार नहीं हुआ जाता

जब से तुम बस गए आकर यहाँ
यह मौहल्ला बड़ा अमीर हो गया
खूबसूरती की यह जागीर हो गया

ऊंघता रहा बिस्तर सो न सका
तेरी खुशबू नखरे दिखाती रही
तेरी याद रात भर ही आती रही

हजार आफतें लिपटती हैं कदमों से
फिर भी तो लाचार नहीं हुआ जाता
बीमार के साथ बीमार नहीं हुआ जाता
---------सत्येन्द्र गुप्ता

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