सेवा में
लिम्का बुक रिकार्ड्स
महोदय ,
मैंने हिंदी शायरी में एक नया प्रयास किया है। दो मिसरो के
शेर को मैंने तीन लाइन में कहने का प्रयास किया है। तीसरी लाइन
के जोड़ने से शेर का वुजूद और बढ़गया। तीसरी लाइन ने दोनों
मिसरों में चार चाँद लगा दिए। और उन्हें बुलंदियों तक पहुंचा दिया।
मैंने इस विधा को नाम दिया है तीन लाइन की शायरी
उदहारण के लिए
--- तीन लाइन की शायरी ---
परदेस चले गए थे कमाने के वास्ते
लौट आये शक़्ल किसको दिखाते
अपनी बेबसी भी किसको दिखाते
शान से ले जाती है जिसको भी चाहे
दर पर खड़ी मौत फ़क़ीर नहीं होती
उसके हाथ में भी तहरीर नहीं होती
तेरा हुस्न इस क़दर तराशा है उसने
जैसे तुझको अपने लिए ही बनाया है
ग़ुरूर तुझमें क्या उसमे भी समाया है
फ़ूल की तरह महकता है कागज़
जिस पर मैंने तेरा नाम लिखा है
लगता है तेरी खुशबु का टुकड़ा है
जिसने रास्ता दिया था बहने के वास्ते
पानी ने काट दिया उस ही पत्थर को
जाने क्या हो गया है इस मुक़द्दर को
पाँव डुबोए बैठे थे पानी में झील के
चाँद देखकर उन्हें हद से गुज़र गया
आसमां से उतर कर पाँव पे गिर गया
मेरे पास ऐसी ऐसी तीन लाइन की लगभग
हज़ार शायरी हैं। मेरी एक किताब भी इस विधा
पर छप रही है। इससे पहले मेरे नौ काव्य संग्रह
भी छप चुके हैं।
ऊपर लिखी विधा अभी तक हिंदी साहित्य
में प्रयोग नहीं की गई है। मैंने ही सब से पहले इस
को लिखा है आपसे अनुरोध है मेरी तीन लाइन की
शायरी की इस विधा को लिम्का बुक ऑफ़ रिकॉर्ड
में स्थान दिलाकर मुझे और साहित्य को गौरान्वित
करेंगे । धन्यवाद ,
सतेंद्र कुमार गुप्ता
कृष्ण धाम ,कोटद्वार रोड
जाप्ता गंज। नजीबाबाद
जिला -बिजनौर। उत्तर प्रदेश
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