तीन लाइन की शायरी
एक शेर में दो लाइन यानी दो मिसरे होते हैं। पहली लाइन मिसरा ए ऊला और दूसरी लाइन
मिसरा ए सानी कहलाती है। शेर अपने आप में पूरा तब तलक़ नहीं होता जब तक पहले मिसरे को
दूसरे मिसरे का माक़ूल ज़वाब न मिले। यह भी कह सकते हैं की पहली लाइन मिसरा ए दावा होती
है और दूसरी लाइन मिसरा ए दलील होती है।
मैंने एक नया प्रयास किया है। मैंने इसमें एक लाइन और जोड़ने की कोशिश की है जिससे
पहली दोनों लाइनों का वुज़ूद और बढ़ गया। शेर की क़ैफ़ियत में चार चाँद लग गए। तीसरी लाइन
शेर को और बुलंदियों तक ले गई । मैंने इस विधा का नाम दिया है --. तीन लाइन की शायरी ---
उदहारण के लिए ,
परदेस चले गए थे क़माने के वास्ते
लौट आये शक़्ल किसको दिखाते
बेबसी अपनी किस किसको बताते
शान से ले जाती है जिसको भी चाहे
दर पर खड़ी मौत फ़क़ीर नहीं होती
उसके हाथ में कोई तहरीर नहीं होती
चंद लाइन का ही ख़त था
बातें सारी ज़रूरी रह गई
ख़्वाहिशें हीअधूरी रह गई
तू मिसरा है जिस ग़ज़ल का ज़िंदगी
उस ग़ज़ल के अशआर हम भी हैं
तेर इश्क़ के तो हक़दार हम भी हैं
उसकी शान में कुछ तोअता कर
हर चीज़ मिल जाती है दुआ से
मांग कर तो देख ले तू भी खुदा से
उम्र दराज़ हो जाता है बचपन
उसके ख़िलौने बदलते रहते हैं
शब्दों के मायने बदलते रहते हैं
बदसूरत हो गया है चेहरा बहुत
नया शीशा मंगाने से क्या फायदा
झूठी शान दिखाने से क्या फायदा
तीसरी लाइन शेर की बुनियादी विशेषता को और मुखर कर रही है। शेर की क़ैफ़ियत को
नया अंदाज़ दे रही है। आशा है आपको मेरा ये प्रयास ज़रूर पसंद आएगा। धन्यवाद ,
----------- सत्येंद्र गुप्ता
मो -9837024900