Thursday, July 21, 2016

हमारे दर्द भी क्या गजब ढाते हैंं
दुनिया के बहुत काम आते हैंं
इंतज़ार रहता है सबको बहुत
दर्द पे मेरे सब खिलखिलाते हैं
आसुओं को बहता देखकर वह
चश्मे नम अपनी भी कर जाते हैंं
फिर पोंछ देते हैंं आसुओं को
हंस कर हमे गले से लगाते हैंं
चैन से जीने नही देते हमको
पीठ पीछे बातें बहुत बनाते हैंं
ऐसे दोस्तों का करें क्या बता
दोस्ती का भी मजाक उड़ाते हैंं
सतेन्द्र गुप्ता

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