हमें दोस्तो यारों के बीच रहने दो
अपनो के सहारों के बीच रहने दो
अपनो के सहारों के बीच रहने दो
सीख जाएंगे खुद जीने का हुनर
फूलों को खारों के बीच रहने दो
फूलों को खारों के बीच रहने दो
जाने किस रंग मे आ जाए बहार
दिल को बंजारों के बीच रहने दो
दिल को बंजारों के बीच रहने दो
आज का चांद फिर निकलेगा नही
उसको इन सितारों के बीच रहने दो
उसको इन सितारों के बीच रहने दो
आज तेरी गजल का अंदाज नया है
उसे हम से यारों के बीच रहने दो
उसे हम से यारों के बीच रहने दो
गम को भुला दिया करो हंस कर
दर्द को फनकारों के बीच रहने दो
दर्द को फनकारों के बीच रहने दो
फिर यह दिन भी न लौटेंगे कभी
बचपन को बहारों के बीच रहने दो
बचपन को बहारों के बीच रहने दो
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (13-06-2016) को "वक्त आगे निकल गया" (चर्चा अंक-2372) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'