Monday, June 27, 2016

फूलों ने हर मौसम में खिलना बंद कर दिया
खुशबूओं ने शिकवा करना बंद कर दिया
दिल तेरे लिए हमने प्राणायाम तक किया
तूने ही कायदे से धड़कना बंद कर दिया
वक्त जब से तू भी जिद्द पर आ गया अपनी
हमने भी अपनी हद में रहना बंद कर दिया
क्या कहें हिज्र अच्छा है कि विसाल अच्छा है
अब हमने मजनूं सा दिखना बंद कर दिया
अपना खून तक भी नही पहचान सके हम
शीशी में भरा था अपना लगना बंद कर दिया
मुझको देना तो अब तुम कोई दुआ मत देना
अब मैंने भी चांद सा दिखना बंद कर दिया
रोशनाई ही सूख गई है अब तो दिल की
खत हमने उनको लिखना बंद कर दिया
पानी भी अब जहर समान हो गया मेरे लिए
ड़ाकटर ने बार बार चखना बंद कर दिया
जरूरतों की सब चीजें हैं अब मेरे पास भी
अब मैंने हाय तौबा करना बंद कर दिया
सतेन्द्र गुप्ता

Thursday, June 23, 2016

जिंदगी तुझे सजदा करना भी सिखा दूंगा
सलीके से जीने का तूझे हुनर बता दूंगा
तेरा करज़ मुझ पर अभी बाकी है जिंदगी
तूने मोहलत दी तो उसको भी चुका दूंगा
दिल तेरे वास्ते हमने क्या क्या नही किया
रूक गया तो तूझे भी धड़कना सिखा दूंगा
बस कुछ दूर और तू मेरे साथ चला चल
मैं सासों का तेरे लिए खजाना लुटा दूंगा
फिर न कहना मुझे कि मैं बेवफ़ा निकला
तेरे लिए तो मैं अपनी हस्ती भी मिटा दूंगा

Saturday, June 18, 2016

मुहब्बत का दम अब तक भरते हैं 
जब भी तेरी गली से हम गुज़रते हैं। 

बेशक़ भूल गए वायदे तुम वह सब  
हमारे दिल में दर्द आज भी पलते हैं।

हर दर्द की भी तो दवा न बन सकी 
मुरझाए हुए फूल भी कहां खिलते हैं।

इश्क़ की धूप में हाथ भले  जल गए 
वह हुस्न देख अब भी आहें भरते  हैं। 

सलामत रहे आशिक़ी हमारी भी तो 
हम रब से दुआ भी यही तो करते हैं। 

स्याही उंडेल कर  दिल के पन्नों पर 
ग़ज़ल गीत  कभी कविता लिखते हैं।  

                     सत्येंद्र गुप्ता 

  


Monday, June 13, 2016

मौसम बदल रहा है अपना ख्याल रखना 
दिल  अपना हर हाल में खुशहाल रखना। 

समेट लेना  शिक़्स्ता गुलाब  की  खुशबू 
दिल में न  कोई तू अपने  मलाल रखना।

तहज़ीब का तेरी न कोई तमाशा बना दे 
जो बीत गईं हैं सदियाँ वो संभाल रखना।

नफरतों  के माहौल से  खुद को बचाना
मुहब्बत जो  मिले उसका ख्याल रखना।

तुम्हारा सामना मेरी दीवानगी से  हो तो 
रिश्ता तुम इश्क़ से ज़रूर बहाल रखना।

वह मेरा सब कुछ था पिछले बरस ही तो 
अब दिल न तू उससे कोई सवाल रखना।

लम्हा ज़िंदगी है तो हर लम्हा आज़माइश 
मिली है  ज़िंदगी तो उसे सम्भाल रखना।  

                 ------ सत्येंद्र गुप्ता  
  



Saturday, June 11, 2016

हमें दोस्तो यारों के बीच रहने दो
अपनो के सहारों के बीच रहने दो
सीख जाएंगे खुद जीने का हुनर
फूलों को खारों के बीच रहने दो
जाने किस रंग मे आ जाए बहार
दिल को बंजारों के बीच रहने दो
आज का चांद फिर निकलेगा नही
उसको इन सितारों के बीच रहने दो
आज तेरी गजल का अंदाज नया है
उसे हम से यारों के बीच रहने दो
गम को भुला दिया करो हंस कर
दर्द को फनकारों के बीच रहने दो
फिर यह दिन भी न लौटेंगे कभी
बचपन को बहारों के बीच रहने दो

Tuesday, June 7, 2016

बहुत खूबसूरत है खुशबू तुम्हारी
महकती है फिजा बदौलत तुम्हारी
मुबारक हो तुम्हे हर अदा तुम्हारी
सलामत रहे आशिक़ी भी हमारी
आज तुम बड़ा गजब ढा रही थी
चाँद ने थी आरती तुम्हारी उतारी
चांदनी भी आज पशेमां बहुत थी
चुका रही थी आज वो भी उधारी
एक बहम सा दिल मेंं बस गया था
हमने दिल में नज़र तुम्हारी उतारी
जाने उन लम्हो ने भी क्या सोचा था
गुदगुदा रही थी दिल को भी खुमारी
रूह मुहब्बत की बारिश मे भीगी थी
तुम बाहों मे सिमट रही थी हमारी
तुम्हारी खुशबू का ही पता करती है
जब भी चलती हैंं यह हवाएं बिचारी

Monday, June 6, 2016

बेसबब न इधर उधर फिरा करो
जमाने की नज़रों से ड़रा करो
नज़र लग जाएगी किसी की भी
हमारी ही नज़र में रहा करो
खूबसूरत हो तुम तुम्हे इल्म नही
नज़रों से मेरी खुद को देखा करो
तुमको देखकर ही जीते हैं हम
यकीन हमारा भी तो किया करो
तुम्हारी खूशबू का कायल हूं मैं
मेरी सासों को महका दिया करो
चांद भी पुराना लगता है सामने
दिल से अपने ही पूछ लिया करो
सलामत रहे हुस्न तुम्हारा ये सदा
दुआ यह भी तो करते रहा करो