मुहब्बत में ज़हर ज़हर नहीं होता
जो पी भी लें तो असर नहीं होता।
जाने क्या तासीर है मुहब्बत में
इलज़ाम किसी के सर नहीं होता।
इश्क़ ही तो ऐसी एक शै है यारों
नशा जिसका क़मतर नहीं होता।
महकती न आबो हवा ज़िंदगी की
इश्क़ का अगर शज़र नहीं होता।
इश्क़ न होता इस ज़िंदगी से अगर
मुझ में भी कोई हुनर नहीं होता।
मीरा नहीं पीती ज़हर का प्याला
कृष्ण से इश्क़ अगर नहीं होता।
शज़र --पेड़
जो पी भी लें तो असर नहीं होता।
जाने क्या तासीर है मुहब्बत में
इलज़ाम किसी के सर नहीं होता।
इश्क़ ही तो ऐसी एक शै है यारों
नशा जिसका क़मतर नहीं होता।
महकती न आबो हवा ज़िंदगी की
इश्क़ का अगर शज़र नहीं होता।
इश्क़ न होता इस ज़िंदगी से अगर
मुझ में भी कोई हुनर नहीं होता।
मीरा नहीं पीती ज़हर का प्याला
कृष्ण से इश्क़ अगर नहीं होता।
शज़र --पेड़
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