Monday, August 26, 2013

दिल बच्चा था शैतानी कर बैठा
किस्सा अपना जुबानी कर बैठा !
खुशबुओं को कौन चूम पाया है
खुशबु चूमने की नदानी कर बैठा !
सारे रंगों को घोल कर एक जगह
अपने रंगों को भी पानी कर बैठा !
दूधिया रात में  झील के किनारे
चांदनी को वो दिवानी कर बैठा !
जुल्फे सियह से लिपटा इस तरह
कि इश्क अपना तूफानी कर बैठा !
उजाले को ढूंढता फिरता रहता था
आसमान अपना नूरानी कर बैठा !

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