Sunday, January 29, 2012

हिमालय से बर्फीली बयार आ गई
वसंत को भी ठंड की मार सता गई।
वसंत आने का अब के पता न चला
वसंत में वासन्ती साड़ी कंपकपा गई।
सुबह रजाई में सिमटा रहा वसंत
सर्दी मस्त उमंगों को भी सुला गई।
सुबह सवेरे कौवे ने तो कांव कांव की
कोयल की कूक मगर ठंड मना गई।
वसंत अपने पाँव चलकर नहीं आता
ज़िद मौसम की ये अहसास दिला गई।
वसंत आया और आकर चला गया
वसंत की याद मगर बहुत तडपा गई।


Saturday, January 28, 2012

हवा से न कहना, वो सब को बता देगी
तेरा हर ज़ख्म दुनिया को दिखा देगी।
तू डूबा हुआ होगा अपने गम में कहीं
वो जमाने भर में बहुत शोर मचा देगी।
चाहना उसे दिल से एक फासला रखकर
शुहरत बिगड़ गई तो हस्ती मिटा देगी।
तू दरिया प्यार का है, वो चाँद सूरत है
जिंदगी हर घडी तेरे होश उड़ा देगी।
मौत ने आना है, वो आएगी भी जरूर
फैसला भी अपना एकदम ही सुना देगी।
नादान है बहुत तू ,ये दुनिया शन्शाह है
जायेगा खाली हाथ तुझे ऐसा बना देगी।
हफ्तों, महीनों, सालों की तो बात न कर
दुनिया तेरे जाते तेरा किस्सा भुला देगी।




Thursday, January 26, 2012

क़दर करेंगे हम अपने भारत राष्ट्र महान की
जान लुटा देंगे, खातिर हम अपने स्वाभिमान की।
सारे जहां में जय जय होवे मेरे हिन्दुस्तान की
आओ मिलकर शपथ लें हम सब मतदान की।
सूरज चमकता रहे देश में सदा ही विकास का
रश्मियाँ फैलें चारों ओर मत के अभियान की
निर्भय हो मतदान करें जन जन को यह ज्ञान दें
रक्षा करनी है हमको अपने मान सम्मान की।
शत प्रतिशत मतदान हो दिल में यही चाह रहे
ताक़त हमको देखनी है शत प्रतिशत मतदान की।
जंग लगे हथियारों में अब नई धार लगानी है
नये अंदाज़ में वन्दे-मातरम की आवाज़ सुनानी है।
नहीं खेलने देंगे किसी को हम अपने सम्मान से
भ्रष्टाचार की होली भी तो हमको ही जलानी है।
सशक्त और समर्द्ध राष्ट्र अपना हमें बनाना है
इसके लिए हम को कोई नई चाल अपनानी है।
घोटालों का ताना बाना न कोई भी बुन पायेगा
सिरफिरे लोगों को यह बात हमें समझानी है।
हाथ उठाकर शपथ लेते हैं, वोट जरूर डालेंगे
हर हालत में देश की लाज हमको बचानी है।

Tuesday, January 24, 2012


दोस्तों ,
मेरी गजलों की एक ऑडियो अल्बम * अनजाने हो गये * सोनिक enterprises, दिल्ली
द्वारा आल इंडिया रिलीज़ की गई है। इस ऑडियो अल्बम में आठ ग़ज़लें --
पहचानते नहीं सभी अनजाने हो गये ..... मैखाने में कभी आकर तो देखिये .......
पैगाम लेके जो वादे- सबा गई........ हर अदा में कमाल था कोई .......उन्हें दुश्मनों
की बगावत ने मारा ......उल्फत के दौर की वो हर एक बात याद है.......झुकी तो ह्या
हो गई ,उठी तो दुआ हो गई .......राज़ कुछ ऐसा है दिल में छिपाए न बने , हैं।
जिनको दीपा चौहान , सरफराज साबरी , अनीस साबरी , लोकेश शुक्ल ,सन्न्वर अली ,

और हिना खान ने अपनी खुबसूरत आवाज़ से संवारा है।


Monday, January 9, 2012

भूलने का सबक

जो कुछ भी हुआ ,उसे भूल जाओ!--
पत्नी मुझे दिलासा दे रही थी--
बीती बातें याद रखने का कोई औचित्य नहीं है।
पास खड़ी नन्ही बिटिया कभी मुझे कभी अपनी
मम्मी को टुकुर-टुकुर निहार रही थी।
अरे! तुम्हे क्या हुआ, मेरी बच्ची ?-
हम दोनों के मुंह से यकायक निकला।
-हमें टीचर स्कूल में सिखाती है कि हमे कुछ भी
नहीं भूलना चाहिए। मम्मी जब भी मैं कोई बात
भूल जाती हो ,तुम मुझे डांटती हो। कहती हो-
तुझे कुछ भी याद नहीं रहता।मेरी स्मरण शक्ति बढ़ाने
के लिए ब्राह्मी भी खिलाती हो। वह कुछ पल रुक कर बोली-
अब मम्मी आप सबकुछ भूलने को कह रही हैं ! क्यों पापा?
उसके प्रश्नवाचक चेहरे को हम तकते रह गये थे।
मैं सोच रहा था जो उसके कोमल मुंह से निकला था-
सब सच था।-- एक उम्र होती है ,जब हम सीखते हैं पढ़ते हैं तो
सबकुछ याद रखना चाहते हैं। बार बार भगवान से प्रार्थना
करते हैं,की हमारी स्मरण शक्ति कमज़ोर न हो।
जैसे जैसे उम्र बढती है-जीवन में दुःख भरे एवम कटु
प्रसंग आते हैं , तब हमे अनुभव होता है की भूलना,याद रखनेसे भी
अधिक मूल्यवान होता है ।ईश्वर ने मनुष्य को दुखों से छुटकारा
पाने की जो शक्ति दी है,वह अनुपम है !अमूल्य है!
समय धीरे धीरे सबकुछ भुला देता है। नित्य ऐसी बातें होती हैं,
जिनसे दिल को आघात पहुँचता है। यदि हम इन आघातों को न भूलें
तो किसी बड़े मानसिक आघात से फट पड़ें।
नन्ही बच्ची ,जिसे अभी दुःख का अर्थ ही नही पता -उसे भूलने
के विषय में कैसे समझाए ?
तुम्हारी टीचर ठीक कहती है बेटा भूलने का कोई सबक नहीं होता
हमे कुछ भी नहीं भूलना चाहिए ,तुम्हारी मम्मी तो ऐसे ही कह रही थी।
-सच !!!--उसकी आँखों से प्रसनता बरस रही थी।
जिंदगी को मौत से लड़ते देखा है
दिल वेंटिलेटर पर धडकते देखा है।
मौत आती दिखाई देती है जब भी
दिल जीने की ही दुआ करते देखा है।
शाहे-दिल देखा है मुफलिस का तो
अमीर को भी आह भरते देखा है।
प्यार का अंजाम यह भी देखा हमने
ज़िस्म साबुत है दिल टूटते देखा है।
इंसान बनकर तो जी न सका कभी
आदमी को देवता ही बनते देखा है।
तासीर तेरे मैक़दे की गज़ब है साकी
पीकर आदमी सच उगलते देखा है।
मुझसे ज्यादा प्यार की दरकार किसे है
मैंने हर आँख से आंसू बहते देखा है।

Thursday, January 5, 2012

घड़ी घड़ी वो अपना रंग बदलते रहे
लेकर आइनों को भी संग चलते रहे।
हम उनको मुहलतें देते चले गये
बहाने मुकरने के वो सदा ढूंढते रहे।
ख़ता नहीं बताई सजा देने से पहले
इलज़ाम सर पर लगा हम देखते रहे।
दिन में बिल्कुल ही फुरसत न मिली
रातों में मुक़द्दर से हम लड़ते रहे।
रात ने भी मुझ को सोने नहीं दिया
मिलके साथ साथ सहर ढूंढते रहे।
यह बड़ा ही अजीबो गरीब सच है
मुफलिसी में सदा हम सिकुड़ते रहे।
ईमान ही दाँव पर न लगाया हमने
भले ही चीथड़े ज़िस्म पर लपेटते रहे।






Monday, January 2, 2012

या तो मेरे घर की मरम्मत करा दो
या कोई मुझको नया घर दिला दो।
दीवारें इसकी सारी ही सील गई हैं
जतन कोई करके इनको सूखा दो।
मौसम बदल रहा है हवाएं भी तेज़ हैं
खता क्या है मेरी इतना भी बता दो।
हाले- दिल बेहद ही बेहाल है मेरा
लम्स से अपने तुम इसको सहला दो।
रोएगा न दिल फिर यह वादा है मेरा
बस जरा सा इसको हंसना सिखा दो।
होती रहे प्यार की पूजा सदा जिसमे
मेरे दिल को ऐसा एक मन्दिर बना दो।
लो आ गया झूमता इठलाता नया साल
जैसा भी था, अच्छा था बीत गया साल।
प्यार की विश्वास की और खुशियों की
सम्पदाओं से सजे रहे सदा आपके थाल।
बुराई मिटे, महंगाई मिटे,मिटे भ्रष्टाचार
भूख से न हो इस वर्ष कोई भी निढ़ाल।
झूम के नाचे मस्ती में ,हो न कोई गम
मतवाली हो जाए हम सब की ही चाल।
तेरी भी मेरी भी ,है उसकी भी यही दुआ
मंगलमय हो जाए हम सब को यह साल।